कबीर साहेब जी की एक संत के रूप में भूमिका

                   

       दोस्तों आज हम एक ऐसे महान संत के बारे में बात करने जा रहे हैं जो भारत क्या पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा का स्रोत माने जाते हैं तथा उनकी महिमा पूरे विश्व में गाई जाती है। उन्होंने दोहों के माध्यम से समाज को नया सन्देश दिया है तथा पाखंडवाद का भी विरोध किया है। उनका नाम है संत कबीर जी।  

सन्त कबीर जी

         कबीर साहेब जी के जन्म को लेकर काफी किंवदंतियां है कि एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से कबीर जी का जन्म हुआ था तथा लोकलाज के कारण ब्राह्मणी काशी के लहरतारा तालाब पर कबीर जी को छोड़ आई थी। आज हम आपको सन्त कबीर जी के बारे में एक ऐसी रोचक और रहस्यमयी जानकारी बताना चाहेंगे कि जिसे आप सब सुनकर और पढ़कर हैरान हो जायेंगे। 
 
        कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है और ये चारों युगों में आते हैं तथा एक सन्त और गुरु की भूमिका भी निभाते हैं। आइये इन सभी तथ्यों का हमारे सभी धर्मों के शास्त्रों से प्रमाणित करते हैं।
1. यजुर्वेद के अ. 5 के श्लोक नं. 32 में, 

2. सामवेद के संख्या नं. 1400, 822 में,
3. अथर्ववेद के काण्ड नं. 4 के अनुवाक 1 के श्लोक नं. 7, 
4. ऋग्वेद के म. 1 अ. 1 के सुक्त 11 के श्लोक नं. में कबीर नाम लिख कर बताया है कि पूर्ण ब्रह्म कबीर है जो सतलोक में सशरीर रहता है। 
5. गीता जी के अ. 15 के श्लोक नं. 16.17, अ. 18 के श्लोक नं. 46, 62 अ. 8 के श्लोक नं. 8 से 10 तथा 22 में, अ. 15 के श्लोक नं. 1,2,4 में उसी पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने का इशारा किया है। 
6. श्री गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ट नं. 24 पर और पृष्ट नं. 721 पर नाम लिख कर कबीर साहेब की महिमा गाई है।  
7. क़ुरान शरीफ में सूरत फूर्कानि नं. 25 की आयत नं. 52 से 59 में अल्लाह कबीर की पाकि ब्यान की हुई है जिसने छः दिन में सृष्टी रची और कर सातवें दिन तख्त पर जा बिराजा अर्थात् सतलोक में जा कर विश्राम किया। वह अल्लाह कबीर है। 
8. बाईबल के प्रारम्भ के उत्पत्ति ग्रन्थ में सृष्टी  में ही सात दिन की रचना में 1:20-2:5 में।

    कबीर साहेब जी का चारों युगों में आगमन:-
 परमात्मा कविर्देव का वास्तविक निज स्थान सतलोक है और चारों युगों में अपना ज्ञान बताने के लिए सतलोक से पृथ्वी पर प्रकट हुए हैं। सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनिन्द्र नाम से, द्वापर युग में करूणामय नाम से तथा कलयुग में वास्तविक कबीर नाम से प्रकट हुए हैं। इसके अतिरिक्त अन्य रूप धारण करके कभी भी प्रकट होकर अपनी लीला करके निज स्थान सतलोक चले जाते हैं। उस समय लीला करने आए परमेश्वर को प्रभु चाहने वाले श्रद्धालु नहीं पहचान सके, क्योंकि सर्व महर्षियों व संत कहलाने वालों ने प्रभु को निराकार बताया है। वास्तव में परमात्मा आकार में है। मनुष्य सदृश शरीर युक्त है। परंतु परमेश्वर का शरीर नाडि़यों के योग से बना पांच तत्व का नहीं है, एक नूर तत्व से बना है। पूर्ण परमात्मा कहीं भी प्रकट हो जाते हैं, वह कभी मां के गर्भ से जन्म नहीं लेते क्योंकि, वह सर्व के उत्पत्ति कर्ता हैं।

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Mysterious Knowledge about of Saint Kabir Saheb





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